जगदीप धनखड़ पेंशन | Photo Credit: PTI

जगदीप धनखड़ पेंशन: पूर्व विधायक के रूप में मांगी पेंशन
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा से पूर्व विधायक (MLA) के रूप में पेंशन मांगी है। वे 1993 से 1998 तक किशनगढ़ से विधायक थे।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा है। वे एक वकील भी रह चुके हैं। 1989 में वे झुंझुनू से सांसद बने थे। इसके बाद, उन्होंने 1993 से 1998 तक राजस्थान में किशनगढ़ से विधायक के रूप में काम किया। उन्होंने पहले राजस्थान में एक मंत्री के रूप में भी काम किया है। इस खबर पर डिजिटल पत्रिका आपको पूरी जानकारी दे रही है। जब वह विधायक थे, तब पेंशन के नियम अलग थे। लेकिन 2017 में राजस्थान सरकार ने एक नया कानून बनाया। इस कानून के बारे में Wikipedia पर और पढ़ें।
- इस कानून के तहत पूर्व विधायकों को पेंशन मिलती है, भले ही वे किसी और पद पर हों।
- डिजिटल पत्रिका ने पहले भी नेताओं के वेतन और भत्तों पर लेख प्रकाशित किए हैं।
क्या कहता है राजस्थान का कानून?
राजस्थान विधानसभा का एक कानून पूर्व विधायकों को पेंशन देता है। इस कानून का नाम ‘राजस्थान विधान सभा सदस्य (वेतन और भत्ता) अधिनियम, 1956’ है। इसमें 2017 में एक संशोधन किया गया था। इस संशोधन से यह तय हुआ कि अगर कोई पूर्व विधायक किसी और सरकारी पद पर है, तो भी उसे विधायक की पेंशन मिलेगी। आप भारत के कानूनों के बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में अधिक जान सकते हैं। ऐसे कई मामले पहले भी सामने आए हैं।
- इस कानून की वजह से ही उपराष्ट्रपति धनखड़ पेंशन के लिए योग्य हैं।
- कुछ अन्य राज्यों में ऐसा नियम नहीं है।
विपक्ष का क्या कहना है?
इस खबर के बाद विपक्ष के कुछ नेताओं ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह नैतिकता का सवाल है। एक व्यक्ति को एक ही समय में दो सरकारी पेंशन क्यों मिलनी चाहिए? कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही बहुत ऊँचे पद पर है और अच्छी कमाई कर रहा है, तो उसे पेंशन नहीं लेनी चाहिए। आप इस तरह के कानूनी मामलों पर रॉयटर्स की एक रिपोर्ट देख सकते हैं। ऐसे मुद्दों पर डिजिटल पत्रिका हमेशा दोनों पक्षों की बात बताती है।
आगे क्या हो सकता है?
यह खबर इसलिए चर्चा में आई है क्योंकि जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति जैसे बड़े पद पर हैं। अगर वह यह पेंशन लेते हैं, तो यह एक उदाहरण बन जाएगा। कानून में बदलाव के लिए भी कुछ लोग मांग कर सकते हैं। यह देखना होगा कि इस मामले पर आगे क्या होता है। इस तरह के मुद्दे अक्सर debate का विषय बनते हैं। लेकिन नियम-कानून अपनी जगह होते हैं। भविष्य में इस तरह के कानूनों में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आप बीबीसी की रिपोर्ट में और जानकारी पा सकते हैं।