
आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, राजस्थान बना पहला राज्य
राजस्थान सरकार ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी तरह से लागू करने की तैयारी कर ली है। ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है।
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क्या हैं नए नियम?
राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग (Local Self-Government Department) ने सभी शहरी निकायों (Municipal bodies) को इस संबंध में सख्त निर्देश दिए हैं। ये नियम सार्वजनिक सुरक्षा और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाने के लिए बनाए गए हैं।
- **फीडिंग पॉइंट्स:** हर वार्ड और locality में आवारा कुत्तों के लिए feeding points बनाए जाएंगे।
- **Sterilisation और Vaccination:** हर शहर में नसबंदी (sterilisation), rabies vaccination और deworming के लिए केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- **Humane Methods:** कुत्तों को पकड़ने के लिए humane methods का इस्तेमाल किया जाएगा। tongs, wires या nooses जैसे cruel tools का इस्तेमाल पूरी तरह से banned है।
- **Monitoring:** हर शहर में एक निगरानी समिति बनाई जाएगी, जिसमें NGOs और पशु कल्याण कार्यकर्ता शामिल होंगे।
क्यों ज़रूरी है यह कदम?
भारत में आवारा कुत्तों की समस्या बहुत पुरानी है। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में rabies के सबसे ज्यादा मामले हैं, जिनमें से ज्यादातर डॉग बाइट से जुड़े हैं। पिछले कुछ सालों में बच्चों और बूढ़ों पर आवारा कुत्तों के हमलों की खबरें भी लगातार आ रही हैं, जिसने एक गंभीर चिंता पैदा की है। दूसरी तरफ, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि इन जानवरों के साथ inhumane व्यवहार नहीं होना चाहिए। इस नए फैसले से दोनों पक्षों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है।
यह एक ऐसा कदम है जिससे न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि जानवरों के प्रति दया और compassion का भाव भी बढ़ेगा। दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में भी आवारा कुत्तों की समस्या बहुत ज्यादा है। राजस्थान का यह फैसला इन राज्यों के लिए भी एक example सेट कर सकता है। Digital Patrika हमेशा ऐसी खबरों को प्राथमिकता देता है जो समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। हम मानते हैं कि यह एक मॉडल है जिसे देश के बाकी राज्यों को भी अपनाना चाहिए।
आगे की राह
इस फैसले को लागू करना आसान नहीं होगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी, जिसमें नए केंद्र बनाना, कर्मचारियों को ट्रेनिंग देना और NGOs के साथ Coordination करना शामिल है। सरकार ने सभी शहरी निकायों से 30 दिनों के भीतर अपनी compliance report देने को कहा है। पशु कल्याण संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है। जयपुर की एक पशु अधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि यह फैसला एक शुरुआत है और इसे जमीनी स्तर पर सही से लागू करना असली चुनौती है।
उम्मीद है कि राजस्थान का यह कदम देशभर में आवारा पशुओं के प्रबंधन को लेकर एक नई बहस शुरू करेगा। पूरे भारत में इस तरह के कानून की जरूरत है। अगर राजस्थान इस योजना को successfully लागू कर पाता है, तो यह देश के अन्य हिस्सों के लिए एक प्रेरणा बनेगा। Digital Patrika अपने पाठकों को इस विषय से जुड़ी सभी अपडेट्स देता रहेगा।