
उत्तराखंड में फिर बादल फटा, चमोली में भूस्खलन से तबाही
यह खबर सबसे पहले The New Indian Express द्वारा प्रकाशित की गई थी। पूरा श्रेय मूल प्रकाशक को जाता है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में एक और उत्तराखंड में बादल फटा है। इसकी वजह से दो लोग लापता हो गए हैं और कई लोग मलबे में फंसे हुए हैं। यह घटना गुरुवार की रात को जिले के देवाल इलाके में हुई। भूस्खलन की चपेट में आने से एक दंपति बह गए।
चमोली में क्या हुआ?
यह खबर इसलिए ज़रूरी है क्योंकि मोपाटा गांव में एक बड़ा भूस्खलन हुआ है। भूस्खलन के साथ आए मिट्टी और पत्थरों ने एक घर को पूरी तरह से दबा दिया, जिसमें एक दंपति रहते थे। यह घटना बताती है कि पहाड़ों में मॉनसून का मौसम कितना खतरनाक हो सकता है। सरकार और बचाव दल लोगों की मदद के लिए काम कर रहे हैं। Digital Patrika की टीम स्थिति पर नजर रखे हुए है।
आपदा का विवरण
लापता दंपति की पहचान तारा सिंह और उनकी पत्नी के रूप में हुई है। इस घटना में दो अन्य लोग भी घायल हुए हैं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। प्रशासन और बचाव दल लापता लोगों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
- मोपाटा गांव भूस्खलन में कई जानवर भी मारे गए। करीब 20 मवेशी मलबे में दब गए जब उनका शेड गिर गया। इस घटना से गांव में बहुत नुकसान हुआ है। लोग और भी ऐसी घटनाओं से डर रहे हैं।
- अक्सर बादल फटने से उत्तराखंड में बाढ़ आती है। बहुत ज़्यादा बारिश से ज़मीन कमजोर हो जाती है। इसी कारण भूस्खलन होता है। भूस्खलन से सड़कें और नदियाँ बंद हो जाती हैं, जिससे बचाव कार्य बहुत मुश्किल हो जाता है। आप विकिपीडिया पर बाढ़ के बारे में और जान सकते हैं।
बचाव और राहत कार्य
राज्य सरकार बचाव और राहत कार्य के लिए बहुत मेहनत कर रही है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बात की है। उन्होंने कहा है कि बचाव कार्य जितनी जल्दी हो सके, किया जाए। NDRF और SDRF की टीमें प्रभावित इलाकों में पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। वे सड़कों को साफ करने के लिए मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह एक बड़ा और कठिन काम है। रुद्रप्रयाग में भी बादल फटा। वहाँ भी कई परिवार मलबे में फंसे हैं। राज्य एक साथ कई आपदाओं का सामना कर रहा है।
बड़ी तस्वीर
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में बादल फटा है। इसी महीने की शुरुआत में भी उत्तरकाशी में ऐसा ही हुआ था। उस घटना से भी काफी नुकसान हुआ था। आप हमारे पुराने लेख में उत्तरकाशी में बाढ़ के बारे में पढ़ सकते हैं। इन घटनाओं का पहाड़ों में बार-बार होना एक चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह climate change और पहाड़ों पर हो रहे निर्माण की वजह से हो रहा है। इसके बारे में और जानकारी के लिए आप Times of India की वेबसाइट देख सकते हैं।
मौसम विभाग ने आगे भी भारी बारिश होने की चेतावनी दी है। उन्होंने चमोली और कुछ दूसरे जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। पुलिस लोगों को नदी के किनारों से दूर रहने को कह रही है। वे लोगों को पहाड़ों में यात्रा न करने की सलाह भी दे रहे हैं। ऐसे हालात में सरकार और लोगों को मिल-जुलकर काम करना चाहिए। आप यून की वेबसाइट पर भी ऐसी आपदाओं से बचाव के लिए जानकारी पा सकते हैं।
आगे क्या होगा?
सबसे पहला काम लापता लोगों को ढूंढना है। बचाव दल अपनी खोज जारी रखेंगे। इसके बाद, उनका ध्यान सड़कों को साफ करने और प्रभावित परिवारों की मदद करने पर होगा। सरकार कुल नुकसान का जायजा भी लेगी। फिर वे खोए हुए घरों को फिर से बनाने की योजना बनाएंगे। इन समुदायों के लिए ठीक होने का रास्ता लंबा और कठिन होगा। उन्हें कई जगहों से मदद की जरूरत होगी।
Border Roads Organisation पहले से ही मुख्य सड़कों को साफ कर रहा है। भूस्खलन को हटाना एक बड़ी चुनौती है। जैसे ही सड़कें खुलेंगी, और मदद भेजी जा सकेगी। स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है। एक रॉयटर्स रिपोर्ट से पता चल सकता है कि global climate change इन क्षेत्रों को कैसे प्रभावित कर रहा है। Digital Patrika पर हम इस और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर खबरें देते रहेंगे।