
अमेरिका ने विदेशी ड्राइवरों के वीज़ा रोके हैं, एक ऐसा फैसला जिसने विदेश में नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे भारतीय समुदायों में हड़कंप मचा दिया है। इस कदम ने सीधे तौर पर H-2B वीज़ा प्रोग्राम को Target किया है, यह एक गैर-आप्रवासी वीज़ा था जो अमेरिकी employers को ट्रक ड्राइविंग जैसी temporary गैर-कृषि नौकरियों के लिए विदेशी workers को रखने की अनुमति देता था। हजारों कुशल भारतीय ट्रक चालकों के लिए, यह फैसला अमेरिका में काम करने के सपने पर एक बड़ी रोक की तरह है।
भारत का नुकसान: अमेरिकी ट्रकिंग से क्यों जुड़ा है भारत?
इसके प्रभाव को समझने के लिए पृष्ठभूमि देखनी जरूरी है। अमेरिका पिछले कई सालों से ट्रक ड्राइवरों की भारी कमी से जूझ रहा है। American Trucking Associations (ATA) के अनुमान के मुताबिक यह कमी 80,000 ड्राइवरों से भी ज्यादा की है। इस कमी ने दूसरे देशों, खासतौर पर भारत, के अनुभवी ड्राइवरों के लिए एक सुनहरा मौका पेश किया था।
भारतीय ड्राइवर अक्सर अत्यधिक अनुभवी, अंग्रेजी बोलने में सक्षम होते हैं और उन लंबी दूरी की ड्राइविंग को करने को तैयार रहते हैं जिनसे अमेरिकी ड्राइवर कभी-कभी कतराते हैं। पिछले कुछ सालों में, recruitment agencies की बाढ़ सी आ गई थी, जो H-2B वीज़ा के रास्ते भारतीय ड्राइवरों को अमेरिकी ट्रकिंग कंपनियों में लगाने में माहिर थीं। इन ड्राइवरों के लिए, इससे कमाने का एक मौका मिल रहा था—अक्सर भारत में मिलने वाली तनख्वाह से 5 से 10 गुना ज्यादा—और घर वालों का भविष्य संवारने का। बीबीसी हिंदी ने भी इस बढ़ते ट्रेंड पर रिपोर्ट किया था।
सरकारी कारण: आखिर अमेरिका ने यह Program क्यों रोका?
U.S. Citizenship and Immigration Services (USCIS) और Department of Labor (DOL) ने यह फैसला खाली जगह में नहीं लिया। official reason यह बताया गया है कि “घरेलू क workforce की रक्षा करने” की जरूरत है। authorities का मानना है कि कम वेतन पर foreign drivers को रखने से American truck drivers की कमाई और नौकरी के मौके कम हो सकते हैं।
यह फैसला labor policy के broader “America First” approach को Follow करता है। सरकार अनिवार्य रूप से इन high-demand वाली नौकरियों को अपने own citizens और permanent residents से भरने को प्राथमिकता दे रही है।
तुरंत असर: किसको नुकसान होगा?
इसके दो तरह के नतीजे होंगे:
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उम्मीदवार ड्राइवर: हजारों भारतीय ड्राइवर जो application process में थे, interview का इंतज़ार कर रहे थे, या जिन्होंने recruitment agencies को इस process के लिए अच्छी-खासी रकम अदा कर दी थी, अब uncertainty में फंसे हुए हैं। उनके time और पैसे की investment पर पानी फिर गया है।
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अमेरिकी कंपनियाँ: कई American firms जो अपनी delivery demands को पूरा करने के लिए qualified international drivers के इस stream पर निर्भर हो गई थीं, अब मुश्किल में हैं। यह suspension supply chain की मौजूदा बाधाओं को और बढ़ा सकता है, जिससे goods के transportation में delays और costs बढ़ने की आशंका है।
आगे क्या? क्या यह फैसला हमेशा के लिए है?
फिलहाल, यह suspension indefinite है। यह जरूरी नहीं कि permanent ban हो, लेकिन यह एक रोक जरूर है। यह स्थिति इनके आधार पर बदल सकती है:
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Political Pressure: Trucking companies और business groups की lobbying।
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Economic Data: अगर driver shortage और बिगड़ती है और economy को साफ तौर पर नुकसान पहुँचाती है।
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Policy Review: administration बदलने पर इस policy को reverse किया जा सकता है।
संभावित applicants को सलाह है कि वे U.S. Embassy in India की official website जैसे स्रोतों से latest information लें और इस suspension के दौरान guaranteed visas का वादा करने वाली किसी भी recruitment agency से सावधान रहें।
एक सपना जो टल गया
विदेशी ड्राइवरों के वीज़ा रोकने का फैसला एक policy update से कहीं ज्यादा है; यह कई लोगों के लिए जिंदगी बदल देने वाली घटना है। यह international labor mobility के fragile nature को highlight करता है, जो अक्सर domestic politics और economic priorities की दया पर होता है। भारतीय trucking community के लिए, यह निराशा और uncertainty का दौर है। अमेरिका के लिए, यह एक gamble है कि क्या उसका domestic workforce इस void को fill कर पाएगा।